कारक किसे कहते है | और कितने प्रकार के होते है-2021

हेलो दोस्तों आज हम जानेगे की कारक किसे कहते है | और कितने प्रकार के होते है-2021 , कारक की परिभाषा, कारन कारक किसे कहते है, कारक चिन्ह किसे कहते है, कर्ता कारक किसे कहते है, सम्प्रदान कारक किसे कहते है, कारक शब्द का शाब्दिक अर्थ है  जी हा आज हम इनी सब के बारे में जानेगे

कारक शब्द का शाब्दिक अर्थ है

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करने वाला अर्थात क्रिया को पूरी तरह करने में किसी न किसी भूमिका को निभाने वाला

कारक किसे कहते या परिभाषा है

संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका संबंध वाक्य के दूसरे शब्दों से पता चले, उसे कारक कहते

कारक कितने प्रकार के होते है | कारक के भेद

कारक 8 प्रकार के होते है

  • कर्ता    “ने”
  • कर्म    “को”
  • करण   “से (द्वारा)”
  • सम्प्रदान “के लिए”
  • अपादान “से”
  • सम्बन्ध “का, की, के”
  • अधिकरण “में, पर”
  • संबोधन  “हे, अरे”

 

 

विभक्ति या परसर्ग किसे कहते  है | कारक चिन्ह किसे कहते है

कारकों का रुप प्रकट करने के लिये उनके साथ जो शब्द चिन्ह लगते है, उन्हें विभक्ति कहते है। इन कारक चिन्हों या विभक्तियों को परसर्ग भी कहतें है। जैसे- ने, में, को, से।

कर्ता कारक किसे  कहतें है

कर्ता कारक क्रिया के करने वाले को कर्ता कारक कहतें है। यह पद प्रायः संज्ञा या सर्वनाम होता है। इसका सम्बन्ध क्रिया से होता है।

जैसे-     राम ने पत्र लिखा ।
यहाँ कर्ता राम है ।

 

परसर्ग सहित – जैसे राम ने पुस्तक पढ़ी ।

यहाँ कर्ता के साथ ‘ने’ परसर्ग है। भूतकाल की सकर्मक क्रिया होने पर कर्ता के साथ ‘ने’ परसर्ग लगाया जाता है ।

परसर्ग रहित – (क) भूतकाल की अकर्मक क्रिया के साथ परसर्ग ‘ने’ नही लगता ।

जैसे –     राम गया मोहन गिरा।

वर्तमान और भविष्यत काल में परसर्ग का प्रयोग नहीं होता।

जैसे-      बालक लिखता है (वर्तमान काल)

रमेश घर जायगा। (भविष्य काल)

कर्म कारक किसे कहते है

– जिस वस्तु पर क्रिया का फल पड़ता है, संज्ञा के उस रूप को कर्म कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह

जैसे (क) राम ने रावण को मारा। यहाँ मारने की क्रिया का फल रावण पर पड़ा है। (ख) उसने पत्र लिखा । यहाँ लिखना क्रिया का फल ‘पत्र’ पर है, अतः पत्र कर्म है।

करण कारक किसे कहते है

करण कारक संज्ञा के जिस रूप से क्रिया के साधन का बोध हो, उसे करण कारक कहते है। इसका विभक्ति चन्ह है- से (द्वारा) जैसे राम ने रावण को बाण से मारा। यहाँ राम बाण से या बाण द्वारा रावण को मारने का काम करता है। यहाँ ‘बाण से’ करण कारक है।

सम्प्रदान कारक किसे कहते है

सम्प्रदान कारक सम्प्रदान का अर्थ है देना । जिसे कुछ दिया जाए या जिसके लिए कुछ किया जाए उसका बोध कराने वाले संज्ञा के रुप को सम्प्रदान कारक कहते है। इसका विभक्ति चिन्ह ‘के लिए’ या ‘को’ है। जैसे मोहन ब्राह्मण को दान देता है या मोहन ब्राह्मण के लिए दान देता है। यहाँ ब्राह्मण को या ब्राह्मण के लिए सम्प्रदान कारक है।

अपादान कारक किसे कहते है

अपादान कारक – संज्ञा के जिस रूप से अलगाव का बोध हो उसे अपादान कारक कहते है । जैसे- वृक्ष से पत्ते गिरते हैं। मदन घोड़े से गिर पड़ा । ‘विभक्ति चिन्ह ‘से’ है।

यहाँ वृक्ष से और घोड़े से अपादान कारक है। अलग होने के अतिरिक्त निकलने, सीखने, डरने, लजाने, अथवा तुलना करने के भाव में भी इसका प्रयोग होता है ।

 

  • निकलने के अर्थ में-  गंगा हिमालय से निकलती है।
  •  डरने के अर्थ में     – चोर पुलिस से डरता है।
  • सीखने के अर्थ में   – विद्यार्थी अध्यापक से सीखते है ।
  • लजाने के अर्थ में   – वह ससुर से लजाती है ।
  • तुलना के अर्थ में   – राकेश रुपेश से चतुर है।
  • दूरी के अर्थ में       – पृथ्वी सूर्य से दूर है ।

 

सम्बन्ध कारक किसे कहते है

सम्बन्ध कारक संज्ञा या सर्वनाम के जिस रुप से उसका सम्बन्ध वाक्य की दूसरी संज्ञा से प्रकट हो, उसे सम्बन्ध कारक कहते हैं।

इसके परसर्ग हैं- का, के, की, ना, ने, नो, रा, रे, री आदि ।

जैसे राजा दशरथ का बड़ा बेटा राम था।

राजा दशरथ के चार बेटे थे । राजा दशरथ की तीन रानियाँ थी ।

विशेष संबंध कारक की यह विशेषता हैं कि उसकी विभक्तियाँ (का, के, की संज्ञा, लिंग, वचन के अनुसार बदल जाती हैं।

जैसे- (क) लड़के का सिर दुख रहा है।

(ख) लड़के के पैर में दर्द है।

(ग) लड़के की टाँग में चोट है।

अधिकरण कारक किसे कहतें हैं।

अधिकरण कारक – अधिकरण का अर्थ है आधार या आश्रय संज्ञा या सर्वना के जिस रुप से क्रिया के आधार (स्थान, समय, अवसर आदि) का बोध हो, उस अधिकरण कारक कहतें हैं। इस कारक के विभक्ति चिन्ह हैं- में, पे, पर ।

 

जैसे-          (क) उस कमरे में चार चोर थे

(ख) मेज पर पुस्तक रखी थी ।

सम्बोधन कारक किसे कहते हैं

सम्बोधन कारक – शब्द के जिस रूप से किसी को सम्बोधित किया जाए य पुकारा जाए, उसे सम्बोधन कारक कहते हैं। इसमें ‘हे’, ‘अरे’ का प्रयोग किया जाता है ।

जैसे-         हे प्रभों, क्षमा करो। अरे बच्चो, शान्त हो जाओ ।

 

विशेष :- कभी-कभी नाम पर जोर देकर सम्बोधन का काम चला लिया जाता है। वहाँ कारक चिन्हों की आवश्यकता नही होती ।

जैसे-      अरे। आप आ गए।

अजी। इधर तो आओ।

कारक किसे कहते है | और कितने प्रकार के होते है-2021 , कारक की परिभाषा, कारन कारक किसे कहते है, कारक चिन्ह किसे कहते है, कर्ता कारक किसे कहते है, सम्प्रदान कारक किसे कहते है, आप यह जान करि कैसे लगी हमे कमेंट कर जरूर बताये

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